रसूलल्लाह सल्ला वसल्लम की वफात के कुछ ही
अर्से बाद ऑलमोस्ट पूरे अरब ने पहले खलीफा
अबू बकर रज अल्ला ताला अहो के खिलाफ बगावत
का ऐलान कर दिया लेकिन अबू बकर रज अल्लाह
ताला अन्हो ने बहुत तेजी से इन सारी बगावत
को अपने जनरल खालिद बिन वलीद की लीडरशिप
में क्रश कर दिया नाउ एक बार फिर पूरा अरब
मदीना की गवर्नमेंट के अंडर बिल्कुल
यूनाइट हो चुका था अब यहां से स्टोरी
थोड़ी मुश्किल होने वाली है इस्लाम सिर्फ
अरब का नहीं बल्कि एक ग्लोबल रिलीजन बनने
की तरफ जा रहा है और मुसलमान दुनिया की
सबसे बड़ी सुपर पावर बनने वाले हैं तो अबू
बकर रजला ताला अ की सारी बगावत को क्रश
करने के बाद पूरा अरब अब उनके कंट्रोल में
था लेकिन अरब फिर भी एक डेजर्ट था और बहुत
ही गरीब इलाका था और पूरा अरब यूनाइट होने
के बाद भी एक सुपर पावर नहीं बन सका असल
सुपर पावर अरब से बाहर रोमन और पर्जन
एंपायर थे यह दोनों एंपायर दुनिया की बहुत
बड़ी और बहुत पुरानी अंपायर्स थी इस्लाम
के पहले दिनों से जब मुसलमान बहुत कमजोर
रसूला सलम बारबार उन सख्त हालात में भी
फरमाते थे कि एक दिन हम रोमन और पर्जन
एंपायर को फतह करेंगे जिस पर मक्का के लोग
इनका हमेशा बहुत मजाक उड़ाते थे लेकिन अब
सिर्फ कुछ ही साल बाद मदीना की रियासत इन
दोनों सुपर पावर से टकराने वाली थी और आप
सला अ वसल्लम की इस बात को पूरा करने के
लिए अल्लाह ने पहले से प्लानिंग की हुई थी
मतलब जब मुसलमान हिजरत के बाद मदीना में
आहिस्ता आहिस्ता सेटल हो रहे थे उसी टाइम
रोमन और पर्जन एंपायर आपस में बहुत सख्त
लड़ाई चल रही थी जिसे हम इस वीडियो में
एक्सप्लेन कर चुके हैं इन दोनों अंपायर्स
की आपस में इतनी सख्त लड़ाई हुई थी कि अब
यह दोनों अंपायर्स पहले जैसी स्ट्रांग
नहीं रही थी और आपस में लड़ लड़कर दोनों
सुपर पावर्स बहुत कमजोर हो चुकी थी जिसकी
वजह से यह मुसलमानों के पास बेस्ट टाइम था
कि इन दोनों सुपर पावर्स को वंस एंड फॉर
ऑल खत्म कर दिया जाए क्योंकि ये दोनों
अंपायर्स इस्लाम के लिए सबसे बड़ा खतरा थी
फॉर एग्जांपल रोमन एंपायर की बादशाह
हेराक्लियम
और जंगी तबू पे मुसलमानों को खत्म करने की
कोशिश भी की लेकिन फिर भी अबू बकर रज
अल्ला ताला अहो ने पहला हमला रोमन एंपायर
पर नहीं बल्कि पर्जन एंपायर पर किया इससे
कुछ साल पहले रसूलल्लाह सल्ला वसल्लम ने
दुनिया के सारे बादशाहों की तरफ लेटर्स
भेजे थे और उन्हें इस्लाम की तरफ आने का
हुकुम दिया था जिसका सबसे बुरा रिस्पांस
पर्शियन बादशाह खुसरो ने दिया था और आप
सल्लल्लाहु अल वसल्लम के भेजे हुए लेटर को
बहुत गुरूर के साथ फाड़ दिया था जिसके बाद
पर्सियन एंपायर और मुसलमानों के दरमियान
हमेशा एक कोल्ड वॉर चलती रहती थी और
पर्सियन एंपायर बार-बार मुसलमानों की
गवर्नमेंट को थ्रेट्स भी भेजती थी लेकिन
आप सल्लल्लाहु अल वसल्लम के लेटर को
फाड़ने के बाद उसी पर्जन बादशाह खुसरो के
बेटे ने उसे कत्ल करके खुद पूरे ईरान का
बादशा बन गया लेकिन कुछ ही अर्से बाद उस
बेटे के आर्मी चीफ ने उसे तख से हटा दिया
और खुद बादशाह बन गया फिर बाकियों ने
मिलकर उसे भी तख से हटा दिया और एक औरत को
मलका बनाया फिर उसे भी हटा दिया दिया गया
और उसकी जगह किसी दूसरे को लाया गया फिर
उसे भी हटा दिया गया मतलब बिल्कुल थोड़े
से अरसे में ईरान के 10 बादशाह बदले गए इस
सब की वजह से ईरान की गवर्नमेंट बाकी
दोनों के मुकाबले में बहुत कमजोर हो चुकी
थी जिस तरह अगर आज हमारे मुल्क को देखा
जाए तो पिछले कुछ ही सालों में पाकिस्तान
में सात आठ प्राइम मिनिस्टर्स को
थोड़े-थोड़े अरसे के बाद बदला गया है और
इन द सेम टाइम इंडिया और बांग्लादेश में
एक ही लीडर रहा है जिसकी वजह से पाकिस्तान
इन दोनों कंट्रीज से बहुत पीछे रह चुका है
उसी तरह पर्जन एंपायर भी अपने लीडर्स के
बार-बार चेंज होने की वजह से बहुत कमजोर
हो चुका था और इस बात का मुसलमानों के
लीडर अबू बकर रजला ताला अन को बहुत अच्छी
तरह पता था इसीलिए बगैर कोई टाइम वेस्ट
किए उन्होंने दो बड़े फैसले किए कि पर्जन
एंपायर पर हमला करने वाली फौज में सिर्फ
और सिर्फ व मुसलमान होंगे जो खुद इस जिहाद
के लिए वॉलेटर करें और जो ना लड़ना चाहे व
ना लड़े दूसरा फैसला यह कि उन्होंने अपने
बेस्ट जनरल खालिद बिन वलीद को लेटर भेजा
कि जंगे यमामा में सेलमा को हराने के बाद
वापस मदीना नहीं बल्कि अपनी फौज को लेकर
पर्शियन एंपायर की तरफ जाओ तो खालिद बिन
वलीद 18000 मुसलमानों को लेकर पर्सियन
एंपायर ईरान की तरफ रवाना हुए ईरान उस
जमाने में बहुत बड़ा था खालिद बिन वलीद
जिस इलाके को फतह करने के लिए गए उसे आज
के जमाने में कुवैत कहा जाता है जहां बहुत
सारे पर्शियंस और अरबी दोनों आबाद थे जाने
से पहले खालिद बिन वलीद ने पर्शियन जनरल
को लेटर लिखा कि या तो इस्लाम कबूल कर लो
और या जजिया देने के लिए तैयार हो जाओ
वरना उसके बाद जो होगा उसके जिम्मेदार तुम
खुद होगे क्योंकि मैं तुम्हारी तरफ ऐसे
मर्दों को लेके आ रहा हूं जो मौत शहादत से
इतनी ही मोहब्बत करते हैं जितनी तुम सारे
अपनी जिंदगी से करते हो लेकिन ऑफकोर्स
उन्होंने बात नहीं मानी जिसके बाद खालिद
बिन वलीद ईरान की प्रोविंस कुवेत में
दाखिल कुवैत के गवर्नर ने अपने बादशाह
पर्शियन एंपरर से मदद मांगी लेकिन ईरान के
बादशाह ने सोचा कि अरबों की इतनी औकात
नहीं है कि वो द ग्रेट पर्जन एंपायर से
लड़ सके तो उन्होंने मुसलमानों की फौज को
इतनी अहमियत नहीं दी और अपने गवर्नर की
एक्स्ट्रा फोज के साथ मदद नहीं की सुपर
पावर पर्जन एंपायर के बादशाह ने मुसलमानों
को उसी तरह लाइटली लिया जिस तरह 911 के
बाद सुपर पावर अमेरिका ने अफगानिस्तान को
लिया था और 20 साल जंग के बाद भी बहुत
बुरी तरह हार गए थे ईरान कोई छोटी सी
एंपायर नहीं थी बल्कि पिछले हजारों साल से
दुनिया की सबसे बड़ी सुपर पावर्स में से
एक थी जिसकी लड़ाई हमेशा वेस्ट में रोमन
एंपायर के साथ होती रहती थी और अरब की
पिछले हजारों साल से कभी भी इतनी हिम्मत
नहीं हुई थी कि वह एंपायर के सामने सर उठा
सके क्योंकि इस्लाम से पहले अरब कभी
यूनाइट हुआ ही नहीं था ईरान के बादशाह की
इस गलती से मुसलमानों को बहुत ज्यादा
फायदा हुआ और 18000 मुसलमान फुल स्पीड
कुवैत के पहले शहर कजमा की तरफ रवाना हुए
यह देखकर कुवैत का गवर्नर भी अपनी 30 या
400 हजार की फौज लेकर उसी शहर की तरफ
रवाना हुआ जहां मुसलमान जा रहे थे लेकिन
जैसे ही उनकी सारी फौज वहां पहुंची
उन्होंने देखा कि मुसलमान इस सिटी नहीं
बल्कि दूसरी सिटी हु फेर पहुंच चुके है तो
कुवैत का गवर्नर भी वापस उसी सिटी की तरफ
जाने लगा जैसे ही उनकी फौज वापस हु फेर
पहुंची खालिद बिन वलीद मुसलमानों को लेकर
वापस पहली सिटी कजमा की तरफ चले गए और
वहां पहुंचकर सारे आराम करने लगे तो वो
दोबारा अपनी सारी फौज लेकर वापस कजमा की
तरफ चला गया लेकिन जैसे ही उसकी फौज
बिल्कुल थक हार कर कजमा पहुंची उन्होंने
देखा कि सामने मुसलमानों की सारी फौज
बिल्कुल रेडी उनका इंतजार कर रही
जिसकी वजह से इस फौज को रेस्ट करने का कोई
टाइम नहीं मिला यह सब खालिद बिन वलीद की
जबरदस्त प्लानिंग थी कि पर्जन फौज को जंग
से पहले ही इतना थका दिया जाए कि वह जंग
के दिन लड़ने के काबिल ही ना रहे नाउ
मुसलमानों की फौज और पर्जन एंपायर की फौज
में बहुत बड़ा डिफरेंस था क्योंकि पर्जन
एंपायर एक सुपर पावर थी और उनकी आर्मी को
दुनिया की बेस्ट आर्मी समझा जाता था लेकिन
इतनी प्रोफेशनल फौज होने की वजह से इनका
बॉडी
आर्मरर हमेशा बहुत ज्यादा और बहुत भारी
होता था जिसकी वजह से उनकी फौज को एक जगह
से दूसरे जगह जाने में बहुत मुश्किल होती
थी जिसके मुकाबले में अरब फौज कोई फौज
नहीं बल्कि बस आम मुसलमान थे और इनका
आर्मरर बहुत सिंपल और हल्का होता था जिसकी
वजह से इनकी स्पीड बाकी फौजों से बहुत तेज
होती थी इस बात का खालिद बिन वलीद को बहुत
अच्छी तरह पता था कि अगर हमें पर्जन
एंपायर से जीतना है तो नंबर्स और ताकत से
तो हम कभी भी इनका मुकाबला नहीं कर सकते
हमें सिर्फ अपनी स्पीड यूज करनी पड़ेगी और
इसी स्पीड को यूज करते हुए उन्होंने बहुत
तेजी से रोमन और पर्शियन एंपायर जैसे सुपर
पावर्स को गिरा दिया था जिसे हम पूरा
एक्सप्लेन करेंगे तो सब्सक्राइब आखिर
पर्शियन फौज और मुसलमानों की फौज तारीख
में पहली दफा आमने-सामने हुई सबसे पहले
ईरान के जनरल अपनी फौज से आगे बढ़े और
मुसलमानों के जनरल खालिद बिन वलीद को
अकेले लड़ने का चैलेंज दिया जिस पर
पर्शिया की आर्मी जोर-जोर से नारे लगाने
लगे लेकिन उन सारों ने देखा कि मुसलमानों
की फौज से ऑलमोस्ट 7 फुट का आदमी तलवार
लेकर उनकी तरफ बढ़ रहा है क्योंकि बॉडी के
लिहाज से खालिद बिन वलीद को हजरत उमर का
ट्विन समझा जाता है मतलब कहा जाता है कि
जब वह घोड़े पर बैठते थे तो उनके पैर
ऑलमोस्ट जमीन को टच कर रहे होते थे और
हजारों लोगों के क्राउड में अपनी हाइट की
वजह से आसानी से दिख जाते थे खालिद बिन
वलीद रजि अल्ला ताला उस पर्शियन जनरल से
लड़ने गए लेकिन पर्जन फोज से अचानक दो लोग
आकर अपने जनरल के साथ मिल गए लेकिन फिर भी
खालिद बिन वलीद ने सिर्फ एक और मुसलमान की
मदद के साथ इन तीनों को खत्म कर दिया और
इसी के साथ दोनों फौजों ने हमला कर दिया
पहले जंग थोड़ी सख्त हुई लेकिन पर्शियन
आर्मी बगैर किसी जनरल के लड़ रही और सामने
मुसलमान इंसानों की तारीख के सबसे बड़े
जनरल्स में से एक खालिद बिन वलीद की
लीडरशिप में लड़ रहे थे जिसके बाद
मुसलमानों ने उन्हें क्रश कर दिया और यह
सारा इलाका फतह कर लिया पर्जन बाद ने
मुसलमानों की तरफ एक और फौज भी भेजी खालिद
बिन वलीद और मुसलमानों ने उन्हें भी खत्म
कर दिया और इस तरह ईरान का बहुत
इंपोर्टेंट प्रोविंस कुवत अबू बकर रजला
ताला अ के कंट्रोल में आया और पहली बार
इस्लाम अरब से निकलकर एक ग्लोबल रिलीजन की
तरफ जाने लगा आज दुनिया में दो बिलियन
मुसलमान है और कहा जाता है कि दुनिया में
ऐसा एक सेकंड भी नहीं गुजरता कि कहीं ना
कहीं दुनिया के किसी कोने में अजान ना दी
जा रही हो लेकिन आखिर इस्लाम इतना बड़ा
रिलीजन बना कैसे यह हम सबके लिए समझना
बहुत इंपॉर्टेंट है सो सब्सक्राइब
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